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झारखंड – पेसा कानून लागू ना करने पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, बालू घाटों की नीलामी पर रोक; विधायक पूर्णिमा साहू का सरकार पर तीखा हमला

झारखंड – पेसा कानून लागू ना करने पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, बालू घाटों की नीलामी पर रोक; विधायक पूर्णिमा साहू का सरकार पर तीखा हमला
झारखंड – पेसा कानून लागू ना करने पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, बालू घाटों की नीलामी पर रोक; विधायक पूर्णिमा साहू का सरकार पर तीखा हमला

जमशेदपुर।
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की पेसा (पंचायत उपबंध अधिनियम) नियमावली लागू करने में देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक नियमावली लागू नहीं होती, तब तक ग्राम स्तर पर बालू घाटों की नीलामी पर तत्काल रोक लगाई जाए। इसके साथ ही पंचायती राज सचिव को 23 सितंबर को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

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कोर्ट में क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क रखा गया कि राज्य सरकार जानबूझकर पेसा नियमावली लागू करने में देरी कर रही है। पेसा कानून के मुताबिक, लघु खनिजों की नीलामी ग्राम सभा की सहमति से ही की जा सकती है, लेकिन सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए 440 बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी। यह पेसा अधिनियम का खुला उल्लंघन है।

कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लेते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराज़गी जताई और नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

जुलाई 2024 का आदेश और अवमानना याचिका

गौरतलब है कि जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर पेसा नियमावली लागू करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यही कारण है कि मामला अब अवमानना याचिका तक पहुँच गया है।

विधायक पूर्णिमा साहू का तीखा हमला

इस बीच, जमशेदपुर पूर्वी की भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी और रोक के बाद भी क्या हेमंत सरकार पेसा कानून लागू करने के लिए कोई नया बहाना ढूंढेगी?

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशी दबाव में आदिवासियों की परंपराओं और अधिकारों को दरकिनार कर रही है। साहू ने कहा –

“पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभाओं को अपने प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण का अधिकार मिलेगा। यह आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है, लेकिन सरकार इसे टाल रही है।”

विधानसभा सत्र में भी उठ चुकी है मांग

ज्ञात हो कि पिछले विधानसभा सत्र में भी विधायक पूर्णिमा साहू ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। उस समय सरकार ने स्वीकार किया था कि नियमावली का प्रारूप तैयार हो चुका है, लेकिन इसे लागू करने के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई गई।

विधायक ने कहा कि सरकार का यह रवैया साफ तौर पर दर्शाता है कि वह पेसा कानून को लागू करने के प्रति गंभीर नहीं है। इससे आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

क्यों महत्वपूर्ण है पेसा कानून?

पेसा कानून आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को जल, जंगल और जमीन पर अधिकार देता है। इस कानून के लागू होने से ग्रामीण समुदाय अपने संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन स्वयं कर सकते हैं। खासकर लघु खनिजों जैसे बालू घाटों की नीलामी ग्राम सभा की अनुमति से ही संभव होगी।

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